पुलिस आरक्षक भर्ती घोटाले में जेल गए 14 आरोपियों की जमानत नामंजूर

पुलिस आरक्षक भर्ती घोटाले में जेल गए 14 आरोपियों की जमानत नामंजूर


भोपाल। सीबीआई अदालत ने व्यापमं महाघोटाले की पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2013 में जेल भेजे गए 14 आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया है। सोमवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसबी साहू ने बिचौलियों और दलाल संतोष सिंह तोमर उर्फ राजा तोमर, भरत मिश्रा, दलाल तरंग शर्मा, सुनील शर्मा, दिलीप गुप्ता, राहुल सिंह, प्रदीप पटेल, रोहित राय, सूरज मिश्रा, शशिकांत सहित 14 लोगों की जमानत नामंजूर कर दी है। सीबीआई के वकील मनुजी उपाध्याय ने कहा कि पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में पास कराने के लिए परीक्षार्थी, दलालों और व्यापमं के अधिकारियों ने मिलकर साढ़े चार लाख रुपए प्रति सीट में सौदा किया था। आपस मेंे तय हुआ था कि जिन प्रश्नों के सही उत्तर परीक्षार्थी का पता हैं, केवल उन्हीं के जबाव दें अन्यथा ओएमआर शीट खाली छोड़ दें। ओएमआर शीट के मूल्यांकन के समय मेपिंग के दौरान व्यापमं के अधिकारियों ने खाली पड़ी शीट के गोलो को भरा था, उन्होंने कहा कि आरोपियों के भागने एवं साक्ष्य को बिगाड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। मामले में ज्यादतर आरोपियों को हाईकोर्ट से जमानत मिली गई थी, इसलिए जमानत न दी जाए।


इस घोटाले से जुड़े तीन आरोपियों की हो चुकी है मौत
एसटीएफ द्वारा आरक्षक भर्ती परीक्षा 2013 के मामले में 7 चालान पहले ही पेश करने के बाद सीबीआई ने जांच के बाद 16 नए आरोपियों के शामिल होने पर चालान पेश किया था। इस मामला में व्यापमं के पंकज त्रिवेदी, नितिन महिंद्रा, अजय कुमार सेन, चंद्रकांत मिश्रा, आशाराम गुर्जर, मोहन सिंह गुर्जर, राजेंद्र सिंह गुर्जर, विजय त्रिपाठी, पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के ओएसडी ओपी शुक्ला, सोनू उर्फ विशाल सिंह रघुवंशी, संतोष गुप्ता, अंबरीश शर्मा, राजेश सिंह राजपूत सहित अन्य 77 आरोपी शामिल हैं। 3 आरोपियों विजय सिंह पटेल, अजय सिंह पवार, धनराज यादव की मौत हो चुकी है।


आरोपियों की दलील पर अदालत का आदेश
न्यायाधीश एसबी साहू ने कहा- जांच में सामने आया है कि परीक्षा में 57 परीक्षार्थीयों ने 19 मिडिलमैन, दलालों, व्यापमं के चार अधिकारियों ने अोएमआर शीट की कूटरचना की है। न्यायाधीश ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के आदेश का हवाला देते हुए लिखा कि व्यापमं के अपराध से केवल एक व्यक्ति के जीवन से खिलवाड़ नहीं हुआ, बल्कि हजारों नौजवनों के कॅरियर का सामूहिक नरसंहार हुआ है।