जंगपुरा से जीते आप के प्रवीण कुमार; पिता भोपाल में चलाते हैं पंचर की दुकान; बोले- यहां के दोस्तों ने चुनाव में पूरा सपोर्ट किया
भोपाल। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में जंगपुरा से जीत हासिल करने वाले आम आदमी पार्टी के विधायक प्रवीण कुमार भोपाल में अयोध्या बायपास के पास प्रकाश नगर के रहने वाले हैं। दोपहर में जब मतगणना के रुझानों में प्रवीण आगे हुए तो उनके घर और आस-पड़ोस में भी जश्न शुरू हो गया। आम आदमी पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता भी उनके घर पहुंच गए।
उनके पिता पीएन देशमुख और मां उर्मिला बेटे के चुनाव प्रचार के लिए महीने भर पहले से दिल्ली में हैं। यहां घर में उनके भाई लोकेश और भाभी नीलिमा हैं। लाेकेश भी एक दिन पहले ही चुनाव प्रचार के बाद दिल्ली से भाेपाल लाैटे हैं। जीत के बाद भास्कर से चर्चा में प्रवीण कहते हैं कि उनकी इस जीत में भोपाल का बड़ा योगदान है। भोपाल से दिल्ली आए उनके दोस्तों-परिजनाें ने जुटकर चुनाव प्रचार किया। साथ ही चुनाव के लिए चंदा भी दिया। प्रवीण कहते हैं कि भोपाल में बहुत सारे दोस्त यार हैं। भोपाल जाता हूं तो उनसे मिलता हूं। मुझे उनका भी पूरा सपोर्ट मिला। भोपाल चार महीने पहले गया था।
विकास की राजनीति को देश में लेकर जाना है
आगे के प्लान पर कहा कि जिस तरह से लोगों ने जंगपुरा और दिल्ली में धर्म की राजनीति को नकारकर लोगों ने इस बार काम पर वोट दिया है, उसे अब पूरे देश में लेकर जाना है। भोपाल आने के सवाल पर प्रवीण ने कहा- 10-15 दिन बाद आऊंगा, सबसे मिलूंगा।
प्रवीण के पिता की बोगदापुर में पंचर बनाने की दुकान
प्रवीण के पिता पीएन देशमुख कहते हैं कि बेटा जब पहली बार विधायक बना तो भी हमने उसी यही सीख दी कि तुम्हें यह मुकाम ईमानदारी के कारण मिला है। ईमानदारी को मत छोड़ना। इसी का नतीजा है कि जंगपुरा के लोगों ने दूसरी बार उस पर भरोसा जताया। मैंने बेटे से हमेशा यही कहा कि लोगों ने जिस वजह से तुम पर भरोसा जताया है, उनके भरोसे को कभी मत तोड़ना। प्रवीण के पिता की बोगदापुर में पंचर बनाने की दुकान है। बेटे के विधायक बनने के बाद भी उन्होंने यह काम नहीं छोड़ा है।
अन्ना आंदोलन से जुड़ने के बाद शुरू हुआ राजनीति का सफर..
प्रवीण ने भोपाल में गोविंदपुरा के आइडियल स्कूल से स्कूलिंग की। मोतीलाल विज्ञान महाविद्यालय से साइंस में ग्रेजुएशन किया और फिर भोपाल के टीआईटी कॉलेज से एमबीए किया। नौकरी के सिलसिले में वे दिल्ली पहुंचे। यहां अन्ना के आंदोलन से जुड़े और फिर आम आदमी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा। प्रवीण की यह लगातार दूसरी जीत है।