अदालत ने कहा- कोलकाता और इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित प्रकरण की कॉपी पेश करें याचिकाकर्ता
भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा प्रदेश में सीएए लागू नहीं करने के बयान को चुनौती देने के मामले में हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता सोमन के. मेनन ने दलील दी कि सीएए पर इस तरह का बयान देश की एकता और संप्रभुता के खिलाफ है। ऐसे मामलों को लेकर कोलकाता और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कार्रवाई शुरू कर दी है। मुख्य न्यायाधीश एके मित्तल और जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को उक्त दोनों हाईकोर्ट में लंबित प्रकरणों की कॉपी पेश करने कहा है। हाईकोर्ट ने इसके लिए मामले पर अगली सुनवाई 30 मार्च को निर्धारित की है। इसके अलावा याचिकाकर्ता को अपनी याचिका की वैधानिकता सिद्ध करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांत भी पेश करना होगा।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विगत 25 दिसंबर को सार्वजनिक रूप से यह घोषणा की थी कि किसी भी स्थिति में प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून को लागू नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री के इस बयान को गैरजिम्मेदारी और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ बताते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि केन्द्र सरकार ने राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद उक्त कानून को लागू करने का निर्णय लिया है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने 10 जनवरी 2020 को कानून काे प्रभाव में लाने गजट नोटिफिकेशन भी कर दिया है। यह केन्द्र का विषय है और किसी भी राज्य को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को बनाया पक्षकार
अखिल भारतीय मलयाली संघ भोपाल के अध्यक्ष और अधिवक्ता सोमन के. मेनन, वीर वीरांगना संघ सहित 4 संस्थाओं ने याचिका दायर कर कहा है कि मुख्यमंत्री की घोषणा असंवैधानिक है और उन्हें नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए। याचिका में हाईकोर्ट से मांग की गई है कि मुख्य सचिव को सीएए कानून प्रदेश में लागू करने के निर्देश दिए जाएं। अंतरिम रूप से यह मांग की गई है कि मुख्य सचिव से कानून लागू कराने की अंडरटेकिंग ली जाए। याचिका में मुख्यमंत्री कमलनाथ और मुख्य सचिव को पक्षकार बनाया गया है।